

Aspiring to a Universal Human Nation
Campaign promoted by
Endorse the Humanist Document
Today more than ever, there is a need for a New Humanism.
The world needs a New Universalist Humanism which:
1. Establishes the human being as a value and key interest;
2. States the equality of all human beings;
3. Recognizes personal and cultural diversity;
4. Promotes the development of knowledge beyond conventional ‘truths’;
5. Defends freedom of thought;
6. Rejects violence.
Endorse the Humanist Document to give voice to the
New Universalist Humanism!
मानवतावादी इस मूलभूत समस्या के समाधान मे़ं रुचि रखते हैं: यह जानना कि जीने की आव्शयकता क्यों और किन परिस्तिथियों में है।.
मानवतावादी दस्तावेज
मानवतावादी इस सदी के महिलाएं और पुरुष हैं। वे पूरे इतिहास में मानवतावाद की उपलब्धियों को पहचानते हैं, और कई संस्कृतियों के योगदान में प्रेरणा पाते हैं, न केवल उनसे जो आज केंद्र में हैं। वे, वो पुरुष और महिलाएं भी हैं जो पहचानते हैं कि यह समय इस शताब्दी और यह सहस्राब्दी का अन्त नज़दीक है, और उनकी परियोजना एक नई दुनिया बनाने की है।
मानवतावादियों को लगता है कि उनका इतिहास बहुत लंबा है और उनका भविष्य और भी लंबा होगा। आजा़दी और सामाजिक प्रगति में विश्वास रखने वाले आशावादी के रूप में, वे आज के संकट को दूर करने का प्रयास करते हुए, भविष्य की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। मानवतावादी वैश्विक हैं, एक विश्वव्यापी मानव राष्ट्र के इच्छुक हैं।
दुनिया को एक मानते हुये, मानवतावादी अपने आसपास के वातावरण में कार्यरत हैं।
मानवतावादी एक समान दुनिया नहीं, बल्कि अनेकता की दुनिया चाहते हैं, जैसे कि जातीयता, भाषाओं और रीति–रिवाजों की विविधता; स्थानीय और क्षेत्रीय स्वायत्तता की विविधता; विचारों और आकांक्षाओं की विविधता; विश्वासों की विविधता, चाहे नास्तिक हो या आस्तिक, व्यवसायों की और रचनात्मकता की विविधता आदि।
मानवतावादी विचारधारा के लोग स्वामित्व की चाह नहीं रखते, अथवा आधिकारिक प्रबलता का शौक उन्हें नहीं है। न ही वे खुद को किसी और के प्रतिनिधि या मालिक के रूप में देखते हैं।
मानवतावादी न तो एक केंद्रीकृत राज्य चाहते हैं और न ही समानांतर राज्य। इनके विकल्प के रूप में, मानवतावादी, न तो पुलिस राज्य चाहते हैं और न ही सशस्त्र गिरोहों का राज्य।
आज मानवतावादी आकांक्षाओं और दुनिया की वास्तविकताओं के बीच एक दीवार खड़ी हो गई है। इस दीवार को गिरा–देने का समय आ गया है। एैसा करने के लिए, दुनिया के सभी मानवतावादियों को एकजुट होना होगा।
The arguments of the Humanist Document

१. वैश्विक पूंजी (ग्लोबल कैपिटल)
आज के समय में एक “विश्वव्यापी सत्य” बन गया है: पैसा ही सब कुछ है। पैसा, सरकार है, कानून है, सत्ता है। धन, मूल रूप से साधन मात्र है, लेकिन इससे अधिक यह कला है, यह दर्शन है, यह धर्म है। धन के बिना कुछ भी नहीं किया जाता है, धन के बिना कुछ भी संभव नहीं है। पैसे के बिना कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं हैं, बिना पैसे के कोई अपनापन नहीं है। यहां तक कि शांतिपूर्ण एकांत भी पैसे पर निर्भर करता है।
इस “विश्वव्यापी सत्य” के साथ हमारा संबंध विरोधाभासी है। ज्यादातर लोगों को यह माहौल पसंद नहीं है। और इसलिए हम खुद को पैसे के अत्याचार के अधीन पाते हैं – एक अत्याचार जो कि अमूर्त नहीं है, क्योंकि इसके लिए नाम, प्रतिनिधि, एजेंट और अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रियाएं हैं।
२ वास्तविक लोकतंत्र बनाम औपचारिक लोकतंत्र
लोकतंत्र की इमारत खंङहर हो चुकी है क्योंकि इसकी नींव – संवैधानिक शक्तियों का विभाजन, प्रतिनिधित्व आधारित सरकार, और अल्पसंख्यकों का सम्मान – सब मिट गया है।
शक्तियों का सैद्धांतिक विभाजन कोरी बकवास बन गया है। यहां तक कि विभिन्न शक्तियों की उत्पत्ति और संरचना के आसपास की प्रथाओं पर सरसरी नज़र ङालने पर उनके अंतरंग संबंधों का पता चलता है जो उन्हें एक–दूसरे से जोड़ते हैं। और चीजें भिन्न हो ही नहीं सकती क्योंकि वे सभी एक ही व्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं। एक के बाद राष्ट्र में हम एक शाखा को दूसरों पर वर्चस्व बनाते देखते हैं, शक्तियों का छीना जाना, बढ़ते भ्रष्टाचार और अनियमितताअों का सामने आना – यह सब प्रत्येक देश की बदलती वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के अनुरूप हो रहा है।


३ मानवतावादी रूख
मानवतावादी गतिविधियाँ, ईश्वर, प्रकृति, समाज या इतिहास के बारे में काल्पनिक सिद्धांतों से प्रेरित नहीं होतीं। बल्कि, यह जीवन की जरूरतों के साथ शुरू होती हैं, जिसकी तात्विकता दर्द से छुटकारा और आनंद की प्राप्ति हैं। और, फिर भी मानव जीवन अतीत की अनुभूति और वर्तमान स्थिति को सुधारने के इरादे के आधार पर भविष्य की जरूरतों को समझने की अतिरिक्त जरूरत पर जोर देता है।
४ सुशुक्त मानवतावाद से जागरूक मानवतावाद के लिए
मानवतावाद को, समाज के जमीनी स्तर पर, जहां लोग काम करते हैं और जहां वे रहते हैं, वहां हो रहे अलग–थलग पङते सरल विरोधों को, आर्थिक संरचनाओं को बदलने की दिशा में, जागरूक चेतना का रूप देना होगा।


5. मानवतावादी विरोधी खेमा
जैसे-जैसे लोगों का बढ़़ी पूंजी की ताकतों से घुटना जारी है, लोगों के असंतोष का फायदा उठाकर और विभिन्न मुद्दों पर ध्यान बंटाकर, असंगत प्रस्ताव उठते और कानूनी जामा पा जाते हैं। इस तरह के नव-फासीवाद की जड़ में मानवीय मूल्यों के प्रति घौर घृणा है।
६ मानवतावादी मोर्चे
एक व्यापक आधार वाला सामाजिक आंदोलन बनने के इरादे से, मानवतावाद की महत्वपूर्ण शक्ति, कार्यस्थल, पड़ोस, श्रमिक–संघों और सामाजिक, राजनीतिक, पर्यावरण और सांस्कृतिक संगठनों में मानवतावादी मोर्चों के स्वरूप में गतिविधियों का आयोजन करने में है।
इस तरह की सामूहिक कार्रवाई, विभिन्न प्रगतिशील ताकतों, समूहों और व्यक्तियों के लिए, अपनी स्वयं की पहचान या विशेषताओं को खोए बिना अधिक से अधिक उपस्थिति और प्रभाव डालना संभव बनाती है। इस आंदोलन का उद्देश्य, वर्तमान सामाजिक परिवर्तन को उन्मुख करते हुए, आबादी के व्यापक स्तर को प्रभावित करने में सक्षम इकाइयो़ के एक संघ को बढ़ावा देना है।
